आधुनिक काव्यगीतों में युगबोध

  • राजदेव मिश्र .
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Abstract

प्रस्तावना ईश्वर निर्मित प्रकृति परिवर्तनशीला है, इसलिए संसार शब्द जगत वाची माना गया है। “संसरति इति संसारः” अर्थात् जो हमेश चलता रहे उसे संसार कहते हैं। काल के इस अविच्छन्न धारा को भले ही विभाजित किया हो, लेकिन समसामयिक अद्यतन को आधुनिक काल के रूप में परिभाषित किया है। पूर्व घटित घटनाओं को भूतगत एवं अनागत को भविष्यकाल के रूप में परिभाषित किया जाता है।
Published
2021-09-25
Section
Research Article