प्याज (एलियम सेपा एल.) की वृद्धि और उपज पर विभिन्न रोपण विधि के प्रभाव
Keywords:
प्याज, ऑक्सीफ्लोरफेन, पेंडीमेथालिन, रोपण विधि, विकास और उपज
Abstract
सी॰एस॰ आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के छात्रों के शिक्षण फार्म में ‘‘प्याज (एलियम सेपा एल.) की वृद्धि और उपज पर विभिन्न रोपण विधि के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक जांच की गई। प्रयोग का मुख्य उद्देश्य प्याज के लिए उपयुक्त रोपण विधि और प्रभावी खरपतवार नियंत्रण विधि का पता लगाना था। उपचार में 4 रोपण विधि के 20 मिश्रण शामिल थेः एम1-धान के भूसे के साथ फ्लैट बेड; एम2- धान के भूसे के बिना फ्लैट बेड; एम3-धान के भूसे के साथ ऊंचा बेड; एम4- धान के भूसे के बिना ऊंचा बेड और 5 खरपतवार प्रबंधन पद्धतियांः डब्लू1- वीडी चेक; डब्लू2- पेंडिमिथालिन 1 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर; डब्लू3- ऑक्सीफ्लोरफेन 0.250 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर; डब्लू4- पेंडिमिथालिन 0.750 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर; डब्लू5- ऑक्सीफ्लोरफेन / 0.225 किग्रा ए.आई./हेक्टेयर उपयोग तीन रेप्लिकेशन के साथ फैक्टोरियल रैंडमाइज्ड ब्लॉक डिजाइन (एफआरबीडी) में किया गया था। एक बार हाथ से निराई-गुड़ाई के साथ-साथ ऑक्सीफ्लोरफेन या पेंडिमिथालिन के उपचार से प्याज की वृद्धि और उपज में अधिकतम सुधार हुआ। धान के भूसे के साथ ऊंचे बेड से भी अन्य रोपण विधि की तुलना में प्याज की अधिक उपज मिला। रोपण विधि और खरपतवार नियंत्रण विधियों का परस्पर प्रभाव प्याज के किसी भी घटक पर महत्वपूर्ण नहीं पाया गया। इस प्रकार दोनों तत्त्व के सर्वोत्तम उपचारों का मिश्रण यानी ‘पुआल के साथ ऊंचा बेड रोपण विधि और ऑक्सीफ्लोरफेन $ हाथ से एक बार निराई करने की विधि खरपतवारों को नियंत्रित करने में सबसे प्रभावी साबित हुई और सबसे अधिक प्याज की उपज पैदा हुई। अर्थशास्त्र के दृष्टिकोण से भी यह विधि प्याज की खेती में सबसे किफायती पाई गई।
Published
2024-06-24
Section
Research Article
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