सफलता की कहानी: पलवल पॉलीहाउस

  • के क्रांति के वी वी एस ए. आई. सी. आर. पी (सूत्रकृमि), परियोजना समन्वय कक्ष, एल बी एस भवन, भाकृअनुप-आई ए आर आई, नई दिल्ली-110012
  • विनोद कुमार ए. आई. सी. आर. पी (सूत्रकृमि), परियोजना समन्वय कक्ष, एल बी एस भवन, भाकृअनुप-आई ए आर आई, नई दिल्ली-110012
  • निशि केशरी डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी ,पूसा, समस्तीपुर - 848 125, बिहार, इंडिया
  • रामकेश मीना ए. आई. सी. आर. पी (सूत्रकृमि), परियोजना समन्वय कक्ष, एल बी एस भवन, भाकृअनुप-आई ए आर आई, नई दिल्ली-110012
Keywords: पॉलीहाउस, सूत्रकृमि, बायोएजेंट, संरक्षित खेती, मृदा सौरकरण

Abstract

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार किसानों के उत्पादन और आय को बढ़ाने के लिए भारत में संरक्षित खेती प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हरियाणा में, संरक्षित खेती बहुत ही कम समय में लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। विभिन्न सरकारी योजनाओं के कारण संरक्षित खेती के तहत क्षेत्र 150 हेक्टेयर से अधिक तक पहुंच गया है। अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सूत्रकृमि) ने पॉलीहाउस का सर्वेक्षण करते हुए श्री जसराम की दयनीय स्थिति को देखा और उस पोलीहाउस में प्रदर्शन परीक्षण करने का निर्णय लिया जहां जड़ गाँठ सूत्रकृमि की संख्या 8 द्वितीय अवस्था जूवेनाइल प्रति ग्राम मिट्टी में पाई गई थी। टमाटर की पिछली फसल में सूत्रकृमि की अधिक संख्या के कारण उसे नुकसान हुआ था। हमने टमाटर की जगह फसल बदलने का फैसला किया और शिमला मिर्च लेने का फैसला किया। हमने कुछ बायोएजेंटों के साथ मृदा सौरकरण तकनीक का उपयोग करने का भी निर्णय लिया जो जड़ गाँठ सूत्रकृमि के प्रबंधन के लिए बहुत अच्छे हैं। इस तकनीक का परिणाम बहुत उत्साहजनक रहा और किसान ने अपने पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की बहुत अच्छी फसल पैदा की और जड़ गाँठ सूत्रकृमि संख्या में भी कमी आई। पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की फसल से किसान को लगभग तीन लाख रुपये का लाभ हुआ।
Published
2022-03-31