भारतीय परिपेक्ष्य में प्राकृतिक खेती की चुनौतियां एवम भविष्य

  • वेद प्रकाश भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर ,पटना (बिहार)
  • प्रकाश चन्द घासल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर ,पटना (बिहार)
  • पवन जीत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर ,पटना (बिहार)
  • प्रेम कुमार सुंदरम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर ,पटना (बिहार)
Keywords: प्राकृतिक खेती, पर्यावरण, कीटनाशक, फसल उत्पादन प्रणाली

Abstract

सामान्य उपभोक्ताओं में, खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा दो महत्वपूर्ण कारक हैं जिन पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। सामान्य उपभोक्ताओं में परंपरागत रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों के कारण स्वास्थ्य पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। परंपरागत रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों में उच्च कीटनाशक अवशेष, अधिक नाइट्रेट, भारी धातु, हार्मोन एवं एंटीबायोटिक की उपस्थिति के कारण स्वास्थ्य पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक खेती को फसल उत्पादन प्रणाली के रूप में स्वीकार किया जाता है जो परंपरा, नवाचार और उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी के संयोजन से मिट्टी, पारिस्थितिकी तंत्र और लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रख सकती है। आम तौर पर किसानों द्वारा अपनाए जाने वाले प्रमुख घटकों में अनुपचारित बीज, जैव खाद और जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक, खादध्वर्मीकम्पोस्ट और फसल विविधीकरण शामिल हैं। जैविक रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों की लोकप्रियता उनके पोषण और स्वास्थ्य लाभ के कारण दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक खेती से पर्यावरण की भी रक्षा होती है और एक राष्ट्र पर अधिक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
Published
2022-03-31