Strategies for Up-scaling Agricultural Prosperity in North East Region

  • पंकज कुमार सिन्हा भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान-झारखण्ड, गौरिया करमा, हजारीबाग
  • कृष्ण प्रकाश भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान-झारखण्ड, गौरिया करमा, हजारीबाग
  • शिल्पी केरकेट्टा भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान-झारखण्ड, गौरिया करमा, हजारीबाग
  • दीपक कुमार गुप्ता भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान-झारखण्ड, गौरिया करमा, हजारीबाग
Keywords: पूर्वोत्तर क्षेत्र, बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन, वानिकी

Abstract

देश में कृषि क्षेत्र में पूरे क्षेत्र और इसके संबद्ध क्षेत्रों में असमान उत्पादन और उत्पादकता जो की भारत के पूर्वी क्षेत्र विशेषकर उत्तर पूर्व क्षेत्र में और अधिक गहरा होता जा रहा है। कृषि विकास रणनीतियों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), राज्यों के सम्बंधित कृषि विभागों, वित्त पोषण संगठनों, निजी क्षेत्र के संगठनों और जमीनी संगठनों जैसे संस्थानों की मदद से अनुसंधान, विस्तार और शिक्षा को एकीकृत करके संसाधनों, स्थितियों और लोगों की जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर विकसित करने की आवश्यकता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि की गहनता को उनकी अनूठी कृषि-पारिस्थितिकीय के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर विचार करके और कृषि से सम्बंधित क्षेत्रों जैसे फसलों के बीच परस्पर निर्भरता और तालमेल के एकीकरण के साथ पारिस्थितिक और आर्थिक रूप से टिकाऊ कृषि विकल्पों जैसे बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन, वानिकी और संबंधित प्राकृतिक संसाधन की पहचान करने की आवश्यकता है।
Published
2022-03-25