वृक्षारोपण: पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान
Keywords:
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Abstract
वन किसी भी क्षेत्र या समाज की अमूल्य सम्पत्ति है। वन रोजगार का सृजन करने, जलवायु को सन्तुलित रखने, मृदा अपरदन को रोकने व प्राकृतिक सौन्दर्य को बढ़ाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या की इच्छाएँ, लोभ, लालच और स्वार्थों की पूर्ति एवं लिप्सा ने मनुष्य का ध्यान हरे-भरे वनों की ओर आकर्षित किया और स्वार्थी मनुष्य ने अपने परम हितैषी वृक्षों का सफाया करना आरम्भ किया। फलस्वरूप वन मैदान में बदलते जा रहे हैं और हरे-भरे पहाड़ नंगे होते जा रहे हैं जिससे विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्यायें जैसे- बढ़ता तापमान, सूखे की स्थिति, गिरता भूजल स्तर, भूस्खलन, अपरदन, पर्यावरण प्रदूषण, मरुस्थलीकरण, जलवायु परिवर्तन समूचे विश्व के लिए चिन्ता का विषय होती जा रही है। इन इन समस्याओं का एक सस्ता व सरल उपाय ढूँढ़ने का प्रयास करें तो एक ही उत्तर प्राप्त होगा- ‘‘वृक्षारोपण’’। केवल वृक्ष ही है जो इन पर्यावरणीय समस्याओं से प्राणी जगत की रक्षा कर सकते हैं। एक अकेला वृक्ष एक साल में 117 किग्रा ऑक्सीजन देता है व करीब 20 किग्रा कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस सोखता है। 4 डिग्री सेग्रे का तापमान नियंत्रण करता है एवं 8 किग्रा तक मरकरी, लीथियम व लैड जैसे घातक तत्वों को सोखता है। एक वृक्ष एक किमी0 तक शुद्ध प्राणवायु फैला सकता है। अतः जीव समुदाय अपना संरक्षण करना चाहता है तो उसे वनों को संरक्षित करना होगा।
Published
2022-08-01
Section
Research Article
Copyright (c) 2022 Scholarly Research Journal for Humanity Sciences and English Language
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