वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी भाषा एवं मीडिया का अंतः संबंध

  • अनीता रानी सहायक प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, सनातन धर्म महिला महाविद्यालय, नरवाना
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Abstract

14 सितम्बर 1949 को संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा मिला। साहित्य, फिल्म, कला, संस्कृति, संचार, बाजार, शिक्षण इत्यादि सभी क्षेत्रो में हिन्दी ने अपनी महता कायम की है। यह भारत के करोड़ों लोगों द्वारा बोली व समझी जाती है। हिन्दी भारत की आत्मा है। आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के युग में हिन्दी का महत्त्व बढ़ा है। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम तथा भारत के पुनर्जागरण में हिन्दी को सांस्कृतिक एकता की कड़ी माना जाता है, वर्तमान समय में भी हिन्दी पूरे विश्व के देशों में एक सांस्कृतिक कड़ी बनने का काम कर रही है। विश्व के कई छोटे, बड़े देशों में प्रवासी भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दुनियां के अनेक देशों के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य में भारतीय मूल के नागरिकों और हिन्दी भाषा की उपस्थिति अब प्रभावशाली मानी जा रही है। आज हिन्दी का स्वरुप वैश्विक हो चला है, वह अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, साथ ही वह अपने स्वरुप को निरन्तर परिष्कृत भी कर रही है।
Published
2021-10-01