भारतीय उच्च शिक्षा में बालिकाओं की स्थिति व चुनौतियाँ

  • दीपक कुमार शोधार्थीद्धए महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदीविश्वविद्यालयए वर्धाए महाराष्ट्र. 442001
Keywords: स्त्री शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्त्री शिक्षा की चुनौतियाँ

Abstract

शिक्षा जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है,चाहे वह बालक का जीवन हो या बालिका का जीवन हो, दोनों के लिए शिक्षा बहुत जरुरी होती है। यदि देखा जाए तो भारत को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए लड़कियों की शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि शिक्षित महिलायें व्यावसायिक क्षेत्र जैसे- प्रोद्योगिकि, चिकित्सा, वकील, प्रशासनिक सेवा आदि में योगदान देने के साथ-साथ अपने घर को भी अच्छी तरह संभालती हैं। प्राचीन समय में लड़कियों की शिक्षा काफी अच्छी थी, लेकिन मध्य युग में महिलाओं की शिक्षा अनेक बाधाओं व सीमाओं की वजह से इतनी अच्छी नहीं थी। भारत की स्वतन्त्रता के बाद अनेक आयोग तथा समितियां बनी जिसने स्त्री शिक्षा के विकास के लिय कार्य किया। इन सबके फलस्वरूप स्त्री शिक्षा में दिन-प्रतिदिन सुधार आता गया। वर्त्तमान समय में प्राथमिक व माध्यमिक स्तर की शिक्षा के साथ-साथ उच्च स्तर की शिक्षा में भी बालिकाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है। आज लडकियाँ, लड़कों के समान उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहीं हैं और अपनी योग्यता व क्षमता के बल पर राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं। इस शोध लेख का उद्देश्य उच्च शिक्षा स्तर पर बालिकाओं की तात्कालिक स्थिति का वर्णन करना तथा इस स्तर पर बालिकाओं की शिक्षा की चुनौतियों जैसे महिला शिक्षिकाओं की कमी, संसाधनो की कमी आदि से लोगों को अवगत कराना तथा इन चुनौतियों के समाधान का सुझाव दिया गया है। इस लेख को चार भागों में विभाजित किया गया है- प्रथम, स्त्री शिक्षा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि द्वितीय, उच्च शिक्षा स्तर पर लडकियों की वर्तमान स्थिति तृतीय, उच्च शिक्षा स्तर पर बालिका शिक्षा की चुनौतियाँ चतुर्थ ,उच्च शिक्षा स्तर पर बालिकाओं के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सुझाव। इन चारों भागों का वर्णन करने के लिए विभिन्न लेख, सर्वे रिपोर्ट, शोध-पत्र, किताबों और अनेक प्रकार की ऑनलाइन सामग्री का प्रयोग किया गया है ।
Published
2021-10-31