उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की व्यावसायिक आकांक्षाओं का विश्लेषण

  • सर्वेश कुमार असिस्टंेट प्रोफेसर, शिक्षाशास्त्र विभाग, बरेली कालेज बरेली
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Abstract

किसी भी देश की समृद्धि उसके नवयुवकों पर निर्भर करती है। जब तक उनकी शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं का पूर्ण विकास नहीं होगा, तब तक वह अपनी शक्तियों का पूर्ण उपयोग देश व समाज के हित के लिए नहीं कर सकते। बालक की व्यावसायिक आकांक्षा का ज्ञान प्राप्त कर उसमें निहित क्षमताओं को उचित दिशा में विकसित होने के अवसर प्रदान किये जा सकते हैं। व्यक्ति के अनुपयुक्त एवं अरूचिकर व्यवसाय में ठहरने पर आर्थिक हानि होती है, साथ ही साथ व्यक्ति के व्यक्तित्व का ह्यस भी हो जाता है। उपयुक्त व्यवसाय को अपनाने पर व्यक्ति को खुशी और संतोष प्राप्त होता है तथा उसका व्यक्तिगत विकास होता है। यदि व्यक्ति को अरूचिकर एवं अनुपयुक्त व्यवसाय में कार्य करना पड़ता है तो उसका जीवन निराशा में व्यतीत होता है। फलतः उसके व्यक्तित्व का ह्यस होता है। इस प्रकार व्यावसायिक आकांक्षा का ज्ञान प्राप्त कर किसी भी व्यक्ति को उपयुक्त व्यवसाय का चयन करने व व्यक्तित्व के पूर्णरूपेण विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। प्रत्येक व्यक्ति अंतःनिहित क्षमताओं को लेकर जन्म लेता है। उसकी रूचियॉ, अभिरूचियॉ, योग्यतायें, क्षमतायें भिन्न-भिन्न होती है। इन्हीं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार का भरण-पोषण करने और अपने जीवन को व्यवस्थित रूप से चलाने हेतु भिन्न-भिन्न व्यवसायों को प्राप्त करने की कामना प्रकट करता है एवं उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहता है। अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय प्राप्त करने की यही कामना व्यावसायिक आकांक्षा कहलाती है। प्रस्तुत शोध-पत्र में उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की व्यावसायिक आकांक्षाओं का विश्लेषण किया गया है।
Published
2022-05-01