षिक्षकों की अभिवृत्ति का विद्यार्थियों की षैक्षिक विकास पर प्रभाव का अध्ययन

  • प्रतिभा गुप्ता Research Scholar, Education Department, D. D. U. Gkp. Uni. Gorakhpur (U. P.)
  • उदय सिंह 2Professor Uday Singh, Department of Education D. D. U. Gkp. Uni. Gorakhpur (U.P)
Keywords: Heavy propionate, medicinal efficiency Bacterial Infection, Mechanism, Thermodynamic Activation parameters, Solvent-Solute Interaction.

Abstract

प्राचीन काल से लेकर आज तक षिक्षक को समाज के आदर्ष षिव्यक्तित्व के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है षिक्षक ही किसी विद्यालय तथा षिक्षा पद्धति की वास्तविक गत्यात्मक शक्ति है। षिष्य के मन में सीखने की इच्छा को जो जागृत कर पाते है वे ही षिक्षक कहलाते हैं, षिक्षक के द्वारा व्यक्ति के भविष्य को बनाया जाता है एवं षिक्षक ही वह सुधार लाने वाला व्यक्ति होता है विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाष की ओर ले जाता है। षैक्षणिक, क्रियाकलाप की सफलता मुख्य रूप से षिक्षक के अभिवृत्ति, योग्यता एवं उसके कार्य पर निर्भर करती है षिक्षक की अभिवृत्ति जैसी होगा विद्यार्थियों का विकास भी वैसा ही होगा। षिक्षक की सकारात्मक अभिवृत्ति न केवल कार्य को आसान बनाती है, अपितु विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव भी डालती है, जिससे विद्यार्थियों के षैक्षिक उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। षिक्षक की नकारात्मक अभिवृत्ति बच्चे में उसी प्रकार की सोच का निर्माण करना सिखाती है। षिक्षकों की विद्यार्थियों के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति से बच्चों में मानसिक तनाव एवं अलगाव की भावना विकसित हो जाती है जो बच्चे के षैक्षिक उपलब्धि पर बुरा प्रभाव डालती है कुछ केसेज में विद्यार्थियों में चिंता की इतनी प्रबल भावना विकसित हो जाती है जो शरीरिक दोष जैसे मांसपेषियों में ऐठन एवं गर्दन मे तनाव उत्पन्न करती है। कुंजी शब्द: 1. षिक्षको की अभिवृत्ति 2. विद्यार्थियों का षैक्षिक विकास .
Published
2022-05-01