स्वामी विवेकानंद के सामाजिक और शैक्षिक विचारधारा की वर्तमान प्रासंगिकता का एक समालोचनात्मक अध्ययन

  • सोमा पाल (सहायक प्राध्यापिका) श्री रामकृष्ण शारदा आश्रम, शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, रविंद्र पथ, हजारीबाग,झारखंड 825301
Keywords: अराजकता, वैचारिक, संस्कृति, वैचारिक संस्कृति, संस्कृति, सार्वभौमिक, व्यक्तित्व भूमंडलीकरण व्यावहारिक, अध्यात्म,

Abstract

स्वामी विवेकानंद भारतीय शिक्षा दर्शन और ज्ञान चेतना के वह नक्षत्र हैं जो ना केवल भारत पर बल्कि पूरी दुनिया में अपने अद्भुत ज्ञान की पृष्ठभूमि से परिचित कराया उन्होंने भारत की गौरान्वित परंपरा को कायम करते हुए समय-समय पर अपने ज्ञानात्मक विचारधारा को संपूर्ण विश्व के सामने लाने का प्रयास किया, और उनके विचारों से ना केवल सनातन संस्कृति बल्कि संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का एक नया प्रचार प्रसार अपने स्तर से करने का कार्य किया l स्वामी विवेकानंद जी ने भारतीय दर्शन को जीवंत एवं व्यवहारिक बनाने के लिए हर स्तर पर अपने विवेक और सकारात्मक विचारधारा को आगे लाने का प्रयास किया l आज के दौर में जब संपूर्ण विश्व भूमंडलीकरण,उदारीकरण, हिंसा और अशांत जैसे वातावरण में चल रहा है l समाज में कटूता, आहिंसा,धार्मिक,कट्टरवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद,भाषावाद इत्यादि तरह के विवादों से चल रहा है l ऐसी स्थिति में हमें भारतीय संस्कृति के एक ऐसे मनीषी का चिंतन मनन पर बल देना होगा, जो शायद इस अराजकता के दौर में भी शांति की बात करता हो, और ऐसे में स्वामी विवेकानंद जैसा दूसरा कोई दार्शनिक व्यक्तित्व जो धर्म अध्यात्म शिक्षा समाज तथा व्यक्तित्व के समस्त पहलुओं को अपने में समेट कर एक संपूर्ण समाज की परिकल्पना करता हो l उसके विचारधारा में आत्म चिंतन, वेद, गीता तथा धर्म किसी के जीवन का आधार मानते हुए उसके महत्व को स्पष्ट किया गया हो तथा संपूर्ण जनमानस को इसका अनुसरण करने के लिए वैचारिक प्रेरणा का कारण बनता हो ऐसे सर्वभोमिक व्यक्तित्व को इस शोध पत्र में व्याख्यापित करने का प्रयास किया जा सकता है
Published
2023-01-01