बंगाल के सुप्रसिद्ध चित्रकार - असित कुमार हाल्दार एवं क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार - एक अध्ययन

  • प्रेमलता कष्यप असिस्टेन्ट प्रोफेसर, (चित्रकला विभाग), गोकुलदास हिन्दू गर्ल्स कालिज, मुरादाबाद।
Keywords: अभिव्यक्ति, कलाकृति, सौन्दर्य पुर्नजाग्रति

Abstract

कला सदैव से मनुश्य की सहचरी रही है, मनुष्य के सृजन की प्रक्रिया, जिसमें नवीनता का समावेष हो वही कला है। कला एक ऐसी अभिव्यक्ति है, जिसमें सुख षान्ति की प्राप्ति होती है। आत्मा के स्वरूप को समझने की जिज्ञासा और प्रवृत्ति को समझना एक मानवीय स्वभाव है। कलाकार की कृतियों के माध्यम से इस स्वरूप को आसानी से समझा जा सकता है। बगांल षैली कला के पुर्नजागरण काल का अभ्युदय माना जाता है। जिसका श्रेय श्री ई0वी0हेविल और श्री अवनीन्द्रनाथ जी को निःसन्देह जाता है। अवनीन्द्र नाथ के षिश्य असित कुमार हाल्दार और क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार हुए जिन्होनें बगांल शैली में कार्य किया जहां क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार जी के चित्र वैष्णव धर्म से आते प्राते हैं, वहीं असित कुमार हाल्दार ने चित्रों में बौद्धधर्म सौन्दर्य के साथ, सामाजिक चिन्तन के साथ चित्रों में सौन्दर्य का परिचय दिया है। दोनों कलाकारों का आधुनिक भारतीय चित्रकला को अन्तराश्ट्रीय स्थान पर पहुंचाने में पूर्ण सहयोग है। दोनों कलाकारों ने ही बगांल स्कूल से निकलकर उत्तर प्रदेश की कला में नयी दिशा प्रदान की।
Published
2021-09-01