मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के अनन्य सखा: वानरराज सुग्रीव
Keywords:
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Abstract
आदि कवि वाल्मीकि रचित ‘रामायण’ श्री रामचरित पर आधारित विश्व का प्रथम महाकाव्य है। त्रैलोक्य पीड़क रावण के संरक्षण में पल्लवित फलित राक्षसी वृत्तियों का समूल नाशकर मानवीय मूल्यों की स्थापना, लोकरञ्जक श्री राम व्रत धारण कर चुके राघवेन्द्र, सानुज लक्ष्मण सहित श्रीराम का समुद्र से चतुर्दिक घिरी लंकानगरी पर आक्रमण का तात्कालिक कारण रावण द्वारा महादेवी सीता का हरण था। बिना वानरराज सुग्रीव की सहायता के न तो सीता-अनुसंधान सम्भव था, न ही समुद्र पर सेतु बाँध वानरों की विशाल सहित रावण की पूरी तरह सुरक्षित लंकापुरी पर आक्रमण ही। मानवीय मूल्यों के संरक्षक तथा सम्वाहक श्री राम ने रावणोन्मूलन में वानरराज के सहयोग के प्रति कृतज्ञता का ज्ञापन बार-बार किया है विस्तार भय से मित्रता की पृष्ठभूमि का उल्लेख करना आवश्यक नहीं प्रतीत हो रहा है। इस आलेख का वर्णन विषय वानरेन्द्र सुग्रीव की लंका के महासमर में प्रदर्शित शौर्यगाथा और रण चातुर्य्य का रेखांकन मात्र है।
Published
2021-11-01
Section
Research Article
Copyright (c) 2021 Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies
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