तम्बाकू सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति एवं उसके दुष्परिणाम
Keywords:
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Abstract
पृथ्वी पर जीवजगत में मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणी है। वह सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है। समय-समय पर अपने आत्मबल से मानव ने अपनी | सर्वश्रेष्ठता का परिचय दिया है। जिस प्रकार मानव अपने आत्मबल से अधिकतम उचाईयों को छूता है उसी प्रकार किसी भी देश को उचाईयों को पाने के लिए उसके सर्वश्रेष्ठ संसाधन होते हैं उसके जनमानस और युवा उस देश के कर्णधार होते हैं। युवाओं की वस्तुस्थिति से देश का भविष्य तय होता है। जितनी मजबूत युवाशक्ति जितने विकसित जागरूक युवा उतना ही विकसित वह राष्ट्र होगा। इतिहास साक्षी है कि महत्वपूर्ण परिवतन युवाओं ने ही किया है, दूसरी तरफ इस बात के भी अनेकों उदाहरण मौजूद है कि किन्ही कारणोवश युवाओं ने ऐसे भी काम किया है जिससे सम्पूर्ण दुनिया सहित पूरी मानवता लज्जित हुई है। महाभारत में अर्जुन ने सब कूछ हारते हुए अपनी पत्नी सहित स्वयं को हार गये व सबके सामने द्रोपदी के चीर हरण के माध्यम से इज्जत, मान, मर्यादा की धज्जियां उडाई गयी है। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार की गलत आदतें परम्परायें व तौर तरीके मौजूद हैं जो प्राचीन से लेकर आज भी सभ्य वैज्ञानिक दुनिया में उन्हें उचित नहीं कहा जा सकता है | विशेषकर जब विज्ञान के सत्य प्रयोगों के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया गया है अमुख कार्य से इस प्रकार की हानि निश्चित है।
Published
2013-07-24
Section
Research Article
Copyright (c) 2013 Anusandhan Vigyan Shodh Patrika
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