तनाव से कैसे उबरें ?
Keywords:
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Abstract
आज आम आदमी जीवन के हर कदम पर मानसिक तनाव का अनुभव करता है| "तनाव" की सम्पूर्ण परिभाषा तो जटिल है, किन्तु मोटे तौर पर यह | कहा जा सकता है कि जब व्यक्ति को मानसिक दबाव, परेशानी या उलझन का अनुभव हो तो ऐसी दशा को "तनाव" कहते हैं | यहाँ यह स्पष्ट कर देना(उचित होगा कि चोटचपेट के कारण होने वाली शारीरिक पीड़ा या किसी बीमारी के कारण उठी वेदना या शूल से सम्बद्ध अस्थाई मानसिक बेचैनी को “तनाव” की श्रेणी में नहीं माना जायेगा। स्पष्टत: किसी व्यक्ति के वैचारिक इन्द्र, असंगति या असंतुलन तथा मानसिक श्रांति, विश्रम या अनिर्णय के परिणामस्वरूप उसकी मनोदशा में अथवा उसके स्वस्थ चिंतन में जो व्यवधान या विकृति आती है, उसे "तनाव" कहते हैं । हम सभी जानते हैं कि जीवन में यात्रा स्थूल से सूक्ष्म की ओर होती है। अतः जीवन में तनाव कम करने हेतु भी पहले शरीर को तनाव मुक्त करें फिर मन की ओर बढ़ें | वैसे तो मन की प्रवृत्ति ही तनाव का मुख्य कारण है। अर्थात् तनाव हमारे प्रत्यक्षीकरण(देखने का ढंग) का परिणाम है | हमें कोई व्यक्ति, परिस्थिति या वस्तु तनाव नहीं देती वरन् उन सब के बारे में हमारा चिन्तन ही हमें तनाव देता है।
Published
2013-07-24
Section
Research Article
Copyright (c) 2013 Anusandhan Vigyan Shodh Patrika
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