समाजशास्त्र और इसकी वैज्ञानिक प्रकृति
Keywords:
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Abstract
समाजशास्त्र के उद्भव से पहले भी समाज के बारे में यम हुये थे जैसे कौटिल्य का अर्थशास्त्र और अरस्तु के पॉलिटिक्स में राजनीतिक व्यवस्था के बारे में विश्लेषण किया गया है जो आज भी समाजविज्ञानियों क॑ लिए महत्वपूर्ण है परन्तु उन्नीसवीं शताब्दी में समाज का एक नया विज्ञान पैदा हुआ। [समाजशास्त्र के उदय की जो परिस्थितियां थीं, वह थी- बौद्धिक और सामाजिक | समाजशास्त्र को जानने के चार स्रोत हैं -- राजनीतिक दर्शन, इतिहास दर्शन, जीवदर्शन का विकास सिद्धान्त और सामाजिक-राजनीतिक सुधारों के आन्दोलन, जिनके लिए सामाजिक स्थितियों का सर्वेक्षण जरूरी हो गया था ।' उन्नीसवीं सदी के पूर्वाद्ध में हीगल और सेंट साइमन के लेखन के कारण इतिहास दर्शन एक प्रमुख बौद्धिक प्रभाव बन गया। इन दो चिन्तकों का प्रभाव मार्क्स और कोंत के लेखन पर और फिर आधुनिक समाजशास्त्र की कुछ महत्वपूर्ण प्रवृत्तियों पर पड़ा।!
Published
2013-07-24
Section
Research Article
Copyright (c) 2013 Anusandhan Vigyan Shodh Patrika
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