गौंड पार्टिकल (हिग्ज बोजॉन)
Keywords:
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Abstract
लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की “उत्कृष्ट केन्द्र योजना” के अंतर्गत दो दिवसीय 'हिन्दी में विज्ञान लेखन' कार्यशाला का आयोजन 8-9 अगस्त, 2042 तक विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया गया उपस्थित प्रशिक्षुओं, विषय विशेषज्ञों एवं सम्मानित अतिथियों का विभागाध्यक्ष प्रो० कैलाश देवी सिंह ने हार्दिक स्वागत किया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयों के अधिकतर छात्र हिन्दी माध्यम से होते हैं, उनके लिए हिन्दी लेखन की बहुत आवश्यकता है। प्रो0 मिश्र ने बतलाया कि हिन्दी के विद्यार्थी हिन्दी में ही सोचते और समझते हैं। अतः आवश्यकता इस बात की है कि उन छात्रों के लिए विज्ञान की पुस्तकें हिन्दी में लिखी जाएँ। उन्होंने कहा कि विज्ञान ही हमारे देश को आगे ले जायेगा। ग्रामीण क्षेत्र के बहुतेरे ऐसे छात्र हैं जो अंग्रेजी से दूर भागते हैं, जिन्हें अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है। उनके लिए विज्ञान की पुस्तकों को हिन्दी में ऐसे लिखा जाना चाहिए जो पढ़ने में रोचक हो और साथ ही ज्ञानपरक भी। विज्ञान और हिन्दी के सामन्जस्य से ही आम व्यक्ति भी विज्ञान को आसानी से समझ सकता है। प्रो0 मिश्र ने कहा कि विदेशों में विज्ञान को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाता है जबकि हिन्दुस्तान में ऐसा नहीं है। इसीलिए आज विज्ञान समाज की पहुँच से बाहर है। भाषा के विवाद के कारण ही आज विज्ञान का विकास नहीं हो पा रहा है।
Published
2013-07-24
Section
Research Article
Copyright (c) 2013 Anusandhan Vigyan Shodh Patrika
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