राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एन०बी०आर०आई0), लखनऊ 'एक ऐतिहासिक उद्यान एवं वर्तमान में एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला

  • जयेन्द्र कुमार जौहरी सी0 एस0 आई0 आर0-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान[एन0 बी0 आर0 आई0), राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ(उ0 प्र0)-226004, भारत
  • कमला कुलब्रेष्ठ सी0 एस0 आई0 आर0-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान[एन0 बी0 आर0 आई0), राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ(उ0 प्र0)-226004, भारत
Keywords: .

Abstract

मनुष्य का पौधों से लगाव अनन्तकाल से चला आ रहा है| यहाँ तक कि, आदि मानव इन्हीं पेड़-पौधों के बीच में निवास करते थे और भोजन के रूप में प्रयोग करते थे। सभ्यता के विकास के साथ पौधे सौंदर्य का प्रतीक बन गये और उद्यानों का विकास शुरू हुआ। इसी प्रकार का एक उद्यान १8वीं शत्ताब्दी में उस समय के शासक नवाब सादत अली खान ने लखनऊ में बनाया था। इस उद्यान को १8वीं शताब्दी में अवध के आखिरी शासक नवाब वाजिद अली शाह ने अपनी सर्वप्रिय बेगम सिकन्दर महल को भेंट कर उसे “सिकन्दर बाग” नामित कर दिया। यह ऐतिहासिक उद्यान तथा इसके कुछ अवशेषएऐेतिहासिक गेट) आज भी पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक के रूप मैं लखनऊ में मौजूद हैं। यह उद्यान ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर 887 की आजादी की प्रथम जंग का स्थल भी रहा था। इस बात की पुष्टि इस उद्यान को वर्तमान प्रयोगशाला में परिवर्तित करते हुए, मिले अवशेषों से होती हैं| इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 832 में राजकीय उद्यान व वर्ष 4953 में सी0एस0आई0आर0 द्वारा एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला के रूप में अधिग्रहीत किया गया| आज भी उपरोक्त उद्यान लोगों के आकर्षण का केन्द्र है तथा हजारों की संख्या में आम जनता इसमें प्रातकालीन सैर के लिए आती है। सी0एस0आई0आर0 ने अधिग्रहण के उपरांत इसे “राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान” नामित किया जिसमें अनेक विषयों पर शोध कार्य प्रारंभ किया गया | वर्ष ॥978 में तत्कालीन निदेशक ने इसके कार्य को नाम के आधार पर सार्थक करने हेतु 25 अक्टूबर, ॥978 को “राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान” नाम दिया तथा वर्ष 200 से यह “सी.एस.आई.आर.-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान” के नाम से जाना जाता है।
Published
2013-07-24