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  • दीपक कोहली 5/104, विपुल खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ-226010, उ0प्र0, भारत
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Abstract

कई बार इलाज के दौरान रक्त की आवश्यकता पड़ जाती है और सम्बंधित समूह(ग्रुप) का रक्त बहुत ढूंढने पर भी नही मिलता है। वैज्ञानिकों ने अब इस समस्या का हल खोज लिया है। वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई तकनीक के अनुसार डी0एन0ए0 प्रोटीन और शरीर में पाये जाने वाले कणों(माॅलीक्यूल्स) को त्वचा की कोशिकाओं में इंजेक्शन के जरिये डालने से वह कोशिकाएं रक्त कणिकाओं में परिवर्तित हो जायेंगी। इस तकनीक से ब्लड कैंसर और ल्यूकेमिया आदि के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। ऐसे मरीजों में अब रक्त समूह मिलान मे न तो दिक्कत आयेगी और न ही उनमे संक्रमण का खतरा रहेगा। शोधकर्ताओं ने अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों और नवजात शिशुओं की त्वचा की कोशिकाओं के नमूने एकत्रित कर उन्हें रक्त कोशिकाओं में परिवर्तित करके देखा और सफलता प्राप्त की। प्रयोग में उन्होंने 60 वर्ष तक के बुजुर्ग की त्वचा से रक्त कोशिकाएं बनाई थी । उन्हें एक परीक्षण और करना है कि शरीर की ही त्वचा से बना यह रक्त सामान्य रक्त की तरह मानव शरीर में सुरक्षित ढंग से स्थानांनतरित (ट्रांसफर) हो जायेगा या नही । हेमिल्टन की “मेकमास्टर विश्वविद्यालय“ के भारतीय मूल के कनाडाई शोधकर्ता “मिक भाटिया“ का इस सन्दर्भ मे कहना है कि यदि यह परीक्षण सफल रहा तो वर्ष 2016 तक यह तकनीक अस्पतालों में भी उपलब्ध होने लग जायेगी। “डाॅ0 लेसले वाकर“ के अनुसार रक्त निर्माण में यह तकनीक बेहद लाभकारी साबित होगी जो दुनिया भर में रक्त के उत्तम मिलान(परफेक्ट मैच) की तलाश न हो पाने की समस्या से निजात दिला देगी।
Published
2014-07-24