भूस्खलन एवं पर्यावरण ह्रासः-एक समीक्षा

  • आर0 ए0 सिंह एसोसिएट प्रोफेसर-भूगर्भ विज्ञान विभाग एल0 एस0 एम0 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ-262502, उत्तराखण्ड प्रकाशक-ज्ञानोदय प्रकाशन, सुमित्रा सदन, मल्लीताल, नैनीताल, उत्तराखण्ड
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Abstract

भारतीय सनातन परम्परा मे मानव जाति का उद्भव लगभग दो अरब वर्ष पूर्व माना जाता है। हरे-भरे जंगल, झर-झर बहते झरनों, कल-कल करती नदियों, कलरव करते पक्षी, वृक्ष-वनस्पति तथा विशुद्ध प्राणवायु प्रदान करने वाले वातावरण के बीच मानव ने जब अपनी आँखें खोली होंगी तब स्थिति अतीव मनोरम रही होगी। किन्तु तत्पश्चात् जेैसे -जैसे मनुष्य विकास यात्रा की ओर अग्रसर हुआ और तकनीकी विकास के प्रभाव स्वरूप पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का समुचित दोहन न कर अपितु विदोहन कर औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात हुआ, जिसके परिणाम स्वरूप उस समय से वर्तमान तक पर्यावरण की स्थिति में अत्यधिक परिवर्तन आ गया।
Published
2014-07-24