वेदांग शिक्षा व आधुनिक उच्चारणदोष
Abstract
भारतीय ज्ञान-विज्ञान के आधारस्तम्भ वेदों के सम्यक् अर्थावबोध हेतु वेदांगों में शिक्षा का स्थान नितान्त ही महत्त्वपूर्ण है। जब हम वेदमन्त्रों का उच्चारण करते हैं तो हमें उनकी शुद्धता पर ध्यान देना परमावश्यक है। इसी उच्चारण की प्रक्रिया का ज्ञान कराने के लिए वेदांगों में शिक्षा को अच्छी तरह से जानना आवश्यक है। पाणिनीय शिक्षा में इसे वेदपुरूष की घ्राणेन्द्रिय मानकर इसके महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है-
छन्दः पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते।
ज्योतिषामयनं चक्षुर्निरूक्तं श्रोत्रमुच्यते।।
शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतम्।
तस्मात् साङ्गमधीत्यैव ब्रहमलो महीयते।।1
Published
2022-12-08
Section
Articles