अनुसूचित जातियों के सामाजिक समावेशन की चुनौतियाँ एवं संवैधानिक प्रावधानों का अध्ययन

  • यतीन्द्र मिश्रा एसोसिएट प्रोफेसर, समाजकार्य विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी

Abstract

प्रस्तुत अध्ययन अनुसूचित जातियों के सामाजिक समावेशन हेतु संवैधानिक प्रावधानों की स्थिति का आकलन करने से सम्बन्धित है जिसमें उनकी विभिन्न समस्याओं को दूर करने हेतु बनाये गये संवैधाानिक कानूनों के क्रियान्वयन एवं इसका उनके सामाजिक समावेशन पर प्रभाव को मूल्यांकित किया गया है। प्रस्तुत अध्ययन के परिणाम से यह पता चलता है कि अनुसूचित जातियों के सामाजिक समायोजन में अनेक बाधाएँ हैं जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संरचना की जटिलता, गाँवों में विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों अनुसूचित जातियों की भागीदारी न होना, विभिन्न पूजा-पाठ एवं अन्य अनुष्ठानों के लिए उन्हें अयोग्य माना जाना एवं विभिन्न क्रियाकलापों के लिए उन्हें अयोग्य मानना एक प्रमुख चुनौती है। यद्यपि इसके लिए विभिन्न संवैधानिक उपबन्ध बनाये गये हैं, कानून लागू किये गये हैं, सजा निर्धारित की गयी है, इसके बावजूद भी इनके प्रति जागरूकता न होना, शैक्षिक रूप से कमजोर होना, आर्थिक समस्या युक्त होना एवं समाज की जटिलता को कम करने की स्थिति न होने से विभिन्न उपबन्धों का अनुपालन नहीं हो पाता है। गाँवों में आजभी अनुसूचित जातियों की स्थिति सामाजिक रूप से निम्न एवं दयनीय है। इसके लिए वास्तविकता के धरातल पर जन जागरूकता एवं संवैधानिक अधिकारों के प्रति चैतन्यता का विस्तार कर उन्हें मुख्य धारा में लाने की आवश्यकता है।

Published
2022-12-08