अयोध्या में संत परम्पराः एक विमर्श
Abstract
अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवन्तिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः।।
इस श्लोक का सरल अर्थ यह है कि अयोध्या, मथुरा, माया यानी हरिद्वार, काशी, कांचीपुरम, अवंतिका यानी उज्जैन, द्वारिकापुरी ये सातों पवित्र व मोक्षदायीनी पुरियां अर्थात् नगर हैं।
अयोध्या एक नगरी ही नहीं है यह एक धार्मिक नगरी है जहां राजा इक्ष्वाकु से राजा श्रीरामचन्द्र के वंश तक का राज रहा है। अयोध्या एक आध्यात्मिक नगरी है, यहां आध्यात्म के हर पहलुओं का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। अयोध्या कि बात कि जाय और अयोध्या के संतो की बात ना हो। अगर देखा जाय तो अयोध्या के संत हमेशा की तरह समाज के निर्माण, सृजन, संस्कार के साथ-साथ लोगों को अध्यात्म के प्रति प्रेरित करते रहे हैं और लक्ष्य की ओर अग्रसर भी हैं। अगर अयोध्या के शाब्दिक अर्थ की बात कि जाय तो जिसके साथ युद्ध करना असम्भव हो और जिसे पराजित न किया जा सके।