बैगा जनजाति की कार्य-पद्धति (उ.प्र. के सोनभद्र जिले के संदर्भ में)

  • योगेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, का0सु0 साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या
  • सुनीता देवी* *शोध छात्रा-समाजशास्त्र डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या
Keywords: जनजाति, बैगा जनजाति, बैगा की दवा, बैगा की पूजा, बैगा की कार्यपद्धति तथा इनमें परिवर्तन, विकास परियोजना।

Abstract

भारत विविधताओं का देश है, जहाँ अनेक जाति, प्रजाति, धर्म, भाषा, सम्प्रदाय इत्यादि विविधताएँ देखने को मिलती हैं। यहाँ अनेक जनजाति भी निवास करती हैं। जिनकी अपनी-अपनी संस्कृति एवं कार्यपद्धति होती है। जिन जनजातियों को संविधान की अनुसूची में दिया गया है, उन्हें ‘अनुसूचित जनजाति’ के नाम से जाना जाता है।1

भारत के उ0प्र0 के सोनभद्र जिले में जनगणना 2011 के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या में एस0टी0 0.6 प्रतिशत हैं। वर्तमान में उ0प्र0 में सूचीबद्ध की गई जनजातियों की संख्या 12 है। इनमें से एक ‘‘बैगा जनजाति’’ है।2

उ0प्र0 में सोनभद्र जिला एक मात्र ऐसा जिला है, जहाँ बैगा जनजाति निवास करती है। जिसकी जनसंख्या 30006 है। इस जिले में तीन विकास खण्ड हैं जिनमें से एक घोरावल विकास खण्ड हैं। इस शोध पत्र में शोधार्थी द्वारा घोरावल विकास खण्ड के बैगा जनजाति की कार्यपद्धति तथा उनमें हो रहे परिवर्तन का समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से अध्ययन कर उससे जुड़ी अन्य जानकारी प्रस्तुत किया गया है।

Published
2022-12-08