भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी की नई पहल

  • योगेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी प्रोफेसर एवं अध्यक्ष- समाजशास्त्र विभाग का. सु. साकेत पी. जी. कालेज, अयोध्या
  • प्रीती भारती* *शोधार्थनी- समाजशास्त्र डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या उ. प्र.

Abstract

विश्व की अधिकांश जनसंख्या ग्रामों में निवास करती है और विश्व इतिहास में ग्रामों के निर्माण की कहानी उस समय से प्रारंभ होती है, जब मानव ने घुमंतू जीवन छोड़कर एक स्थान पर रहकर कृषि कार्य प्रारंभ किया।  भारत प्रारंभ से ही गांवों का देश रहा है।  जिसकी आजीविका कृषि पर आधारित है किंतु वर्तमान समय में भारत के ग्रामीण क्षेत्र काफी समृद्ध हो चुके हैं।  यहां बसने वाले प्रत्येक नागरिक में शिक्षा के प्रति थोड़ी बहुत जागरूकता है एवं कृषि कार्यों को उन्नत बनाने के लिए नई-नई प्रौद्योगिकियों के ज्ञान का भी पूर्ण रूप से प्रयोग किया जा रहा है।  मानव जीवन में नई-नई जागरूकता को लाने में प्रौद्योगिकीकरण का बड़ा योगदान रहा है।  वर्तमान में प्रौद्योगिकी में होने वाले परिवर्तनों ने समाज के सभी क्षेत्रों में नई दिशाएं प्रदान की है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है।  भारत आज ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का मजबूत केंद्र बनता जा रहा है।  सूचना प्रौद्योगिकी देश के विकास की सीढ़ी है, देश को विकास की धारा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम क्योंकि पलक झपकते हर पल की खबर इस माध्यम से प्राप्त हो जाती है।  आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो इससे अछूता हो।  सूचना प्रौद्योगिकी का वास्तविक अर्थ सूचना तैयार करने, एकत्र करने, प्रोसेस करने, भंडारित करने और उसे प्रदान करने के साथ इन सब को संभव बनाने वाली प्रक्रियाओं और यंत्रों से है।

Published
2022-12-08