आधुनिकताबोध की अवधारणा: समसामयिकता का सन्दर्भ
Abstract
आधुनिक बोध अपने प्रारम्भिक काल से अब तक विभिन्न चरणों से गुजरने के साथ-साथ स्वरूप गत भी बदलाव सेे भी रू-ब-रू हुआ है। इसे अब तक किसी निश्चित परिभाषा में नहीं बाँधा जा सका है। विचारकों ने आधुनिकता के सम्बन्ध मेें जोे अवधारणाएँ बनायी हैं, वे कभी तो इसे समझने में सहायता देती हैं तो कभी इसे अधिक उलझा कर रहस्यमय और अमूर्त बना देती हैं।1 भिन्न-भिन्न विद्वानों ने आधुनिकता की परिभाषा अपने-अपने चिन्तन के अनुसार दी है। आधुनिकता डॉ॰ धनंजय वर्मा के लिए मानव-विकास की यात्रा की जटिल, संश्लिष्ट और गतिशील प्रक्रिया है। वह केवल एक स्थिति या धारणा नहीं है, निरन्तर नये होते चलने की वृत्ति और वर्तमान का बोध भी है। वह मानवीय सभ्यता और सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपलब्धियों से सम्पृक्त तो है ही; लेकिन उनकी सीमाओें में कैद नहीं है, न ही मोहताज है। आधुनिकता एक प्रक्रिया है, मानसिकता का बदलाव है और बदलते समय के सन्दर्भों के साथ इसका रूप बदलता रहता है।