लिव-इन रिलेशनशिप: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

  • सुनीता पाण्डेय* अध्यक्ष- समाजशास्त्र विभाग का. सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या
  • योगेंद्र प्रसाद त्रिपाठी

Abstract

पूरे विश्व में भारतीय समाज ही एक ऐसा समाज है जिसने कभी किसी के ऊपर आक्रमण नहीं किया लेकिन हमेशा विदेशी आक्रमणों को झेला है। भारत पर ब्रिटिश साम्राज्य के आक्रमण ने तो भारतीय मूल्यों में आमूलचूल परिवर्तन करने की नाकाम कोशिश की। ब्रिटिश साम्राज्य का भारतीय समाज पर न केवल राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभुत्व वर्षों तक बना रहा बल्कि सामाजिक प्रभुत्व भी बना रहा जिसे हम समाजशास्त्रीय भाषा में पाश्चात्यीकरण कहते हैं। ब्रिटिश काल में भारतीय संस्कारों और संस्कृतियों पर पाश्चात्य प्रभाव धीरे धीरे आच्छादित होता रहा किन्तु वर्तमान के वैश्विक सहभागिता और तकनीकी क्रांति ने तो हर देश के सामाजिक जीवन की चूलें हिला दीं हैं। भारतीय समाज बहुत तेजी से बदल रहा है और एक संक्रमण काल से गुजर रहा है किन्तु दुर्भाग्य यह है कि हम न तो पाश्चात्य रह गए हैं और न ही भारतीय बल्कि एक वर्णसंकर संस्कृति में जी रहे हैं। लिव-इन रिलेशनशिप भी इसी वर्णसंकर संस्कृति की देन है।

Published
2022-12-08