नक्सलवाद का उद्भव एवं विकास: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

  • मिथिलेश कुमार चौबे एसोसिएट प्रोफेसर-समाजशास्त्र विभाग गायत्री विद्यापीठ पी.जी. कालेज, रिसिया-बहराइच, उ.प्र.

Abstract

सामाजिक व्यवस्था केे बनाने वालों को इतना भी अन्दाजा नहीं रहा होगा कि उनकी कुचालों से भविष्य में किस तरह की समस्या खड़ी हो सकती है। अगर नक्सलवाद से सम्बन्धित समस्याओं का गम्भीरता से अध्ययन किया जाए तो यह स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है कि आजादी के साथ देश का बंटवारा होना और आजादी के 20 साल बाद नक्सलवाद हमारी व्यवस्था की ही देन है। यह देश के लिए एक ऐसा नासूर बन गया है जो उसके अस्तित्व के लिए खतरनाक होता जा रहा है। 1967 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के अनाम गांव नक्सलवाड़ी से शुरू हुआ इसका सफर आज अपने लिए नित नई मंजिले तय कर रहा है।

Published
2022-06-06