धर्म-अर्थ सम्बन्ध: मिथ्या एवं वास्तविकता

  • मुकेश कुमार पाण्डेय असिस्टेंट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग का० सु० साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या
  • अमित भूषण* *असिस्टेंट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग शासकीय तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुर, मध्य प्रदेश।
Keywords: धर्म, अर्थव्यव्स्था।

Abstract

धर्म एवं अर्थव्यवस्था का आपसी सम्बम्ध जितना प्राचीन रहा है उतना ही गहरा भी रहा है। भारतीय धर्मों में उपासना एवं पूजा-अर्चना के लिए मन्दिरों को अतिविशिष्ट स्थान प्राप्त है। भारत में जिन स्थानों पर महत्वपूर्ण दर्जे के मन्दिरों का निर्माण हुआ है, वहाँ स्वयं ही एक बाज़ार अर्थव्यवस्था विकसित हो गई है। प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शुभारम्भ सिर्फ़ आस्था और धर्म का प्रतिबिम्ब नहीं है, अपितु इस बात का भी प्रतीक है कि मन्दिरों के अर्थशास्त्र का देश के सकल घरेलू उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान है। कोरोना काल में देश के मन्दिरों ने सरकारी ख़ज़ाने में राष्ट्रीय आपदा से निपटने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी मन्दिरों का अभूतपूर्व योगदान है। इसलिए नीति बनाते समय धर्म, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के अंर्तसम्बन्धांे को समेकित रूप में समझने की आवश्यकता है।

Published
2022-06-06