कोविड-19 एवं जनसंख्या प्रवासन

  • विजय कुमार शुक्ल असिस्टेन्ट प्रोफेसर समाजशास्त्र गन्ना उत्पादक स्नातकोत्तर महाविद्यालय बहेड़ी (बरेली)
Keywords: कोविड-19, रिवर्स माइग्रेशन, श्रम विभाजन, एनामी।

Abstract

विगत कई दशकों से भारत में आन्तरिक प्रवासन की दर लगातार बढ़ रही है। 1991 में जहाँ आन्तरिक प्रवासियों की संख्या जहाँ 232 मिलियन थी वही 2001 में 315 तथा 2011 में बढ़कर 450 मिलियन हो गई। कोविड-19 के समय जहाँ शहरों से रिवर्स माइग्रेशन हुआ और लोग पुनः गॉव को लौट आए। इस तरह गॉव की जनसंख्या में एकाएक वृद्धि हो गई। लेकिन कोविड-19 की लहर खत्म होने के बाद पुनः प्रवासी मजदूर शहरों की और लौट गए। इससे एक ओर यह पता चलता है कि दुर्खीम ने यद्यपि यह सिद्धान्त दिया था कि जैसे-जैसे श्रम विभाजन बढ़ेगा वैसे-वैसे लोग एक दूसरे के ऊपर निर्भर होते जाएगे और समाज में एकाएक परिवर्तन होने से एनामी की स्थिति आ गई, और शहर के नियोजकों ने प्रवासी मजदूरों का साथ नही दिया और मजदूरों को  रिवर्स माइग्रेशन करना पड़ा लेकिन गॉव में रोजगार की सुविधाएॅ न होने के कारण तथा शहर के नियोजकों द्वारा पुनः बुलावा आने पर प्रवासी मजदूरों को पुनः वापस शहर जाना पड़ा जिससे गॉव की जनसंख्या में फिर से कमी आ गई।

Published
2021-12-06