भारतीय इतिहास लेखन में वैदिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ
Abstract
अतीत से लगाव मानव का जन्मजात गुण होता है और यह लगाव प्राचीन भारत के लोगों में अतीत के प्रति जीवन्त चेतना थी। भारतीय सन्दर्भ में यद्यपि यह एक सांसारिक मानवीय, ऐतिहासिक अतीत बोध के रूप में विकसित नहीं हो पायी, तथापि इतिहास की एक वाचिक अथवा मौखिक परम्परा का दिग्दर्शन हमें वैदिक संहिता में मिलता है। इसका आरम्भिक अस्तित्व ऋग्वैदिक काल में अस्पष्ट एवं अव्यवस्थित रूप में अपनी उपस्थिति दर्शाता है। स्वतंत्र इतिहास की पुस्तकों का उनके मौलिक रूप में संरक्षण नहीं किया गया। अद्यतन विद्यमान इतिहास, जिसका संरक्षण परवर्ती काल खण्ड में किया गया, कदाचित वही आंशिक रूप से बचा रहा गया।1 प्रो. पाठक की स्पष्ट स्थापना है कि इतिहास लेखन वैदिक युग से निरन्तर अद्यतन विद्यमान है।
Published
2021-12-06
Section
Articles