डॉ. धर्मवीर के सामाजिक विचार
Abstract
भारतीय समाज व्यवस्था जन्म, जाति, वर्ण, धर्म पर आधारित है, जो असमानता पैदा करती है। आज भी इस समाज में जाति के आधार पर व्यक्ति को सम्मान दिया जाता है तो अन्य व्यक्ति को जाति के आधार पर अपमानित किया जाता है। ई.पू. 10वीं सदी के आसपास ब्राह्मण और क्षत्रिय निजी उच्चता प्रस्थापित करने के लिए पारस्परिक युद्ध एवं संघर्ष करते रहे, बाद में पराजित क्षत्रिय वर्ण के राज्यों के जनसमूह को ब्राह्मणों ने यज्ञोपवीत संस्कार बन्द कर दिये, इससे पराजित क्षत्रिय अपवित्र हो गये, जिसमें से शूद्र वर्ण का जन्म हुआ, जो आज का शिल्पकार वर्ग एवं श्रमजीवी समाज है।
Published
2021-12-06
Section
Articles