भारतीय शिक्षा दर्शन में गिजूभाई बधेका का व्यक्तित्व एवं कृतित्व
Abstract
गिजूभाई बधेका का जीवन बाल-शिक्षा के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील था। उनके जीवन पर माता-पिता के अतिरिक्त महात्मा गांधी के विचारों का भी प्रभाव था। वह हमेशा शिक्षारूपी दर्पण में दर्शन को देखने का प्रयास करते थे। प्राथमिक शिक्षा के अनुभव का प्रभाव उनके जीवनदर्शन में स्पष्ट दिखाई पड़ता है। उनका विचार था कि शिक्षा ही जीवन की निरन्तरता का वह आधार है, जो युगों-युगों तक विकास का पथ-प्रदर्शक के रूप में हमारे समक्ष रहेगा। इसी आदर्श की स्थापना का प्रयास उन्होंने अपनी वकालत के पेशे को छोड़कर किया और आजीवन उसे और पुष्पित-पल्लवित करने का साहस किया। बचपन में शिक्षा को वह भयमुक्त, डाँट-डपट, मार-पीट से इतर प्यार-दुलार के साथ शिक्षा प्रदान करने के पक्षधर रहे। वास्तव में उन्होंने इसी आदर्श को आत्मसात करके समाज को नयी दिशा प्रदान की। गिजूभाई शिक्षा पद्धति के संगठन में बालक को एक महत्त्वपूर्ण मानव के रूप में अपने शिक्षा-सिद्धान्त के आधार पर बालक के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का प्रयास किया था।