पूर्वी उत्तर प्रदेश में वित्तीय संस्थाओं में विद्यमान क्षेत्रीय विषमताएँ

  • जैशराज शुक्ल एसो. प्रो. (भूगोल विभाग) का.सु. साकेत, स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या (उ0प्र0)

Abstract

भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि कार्य, वाणिज्य, उद्योग तथा अन्य उत्पादकता गतिविधियों विशेषरूप से लघु व्यवसायों तथा सीमान्त कृषकांे, कृषि श्रमिकों, दस्तकारों और उनसे सम्बन्धित अन्य गतिविधियों को व्यावहारिक रूप में विकसित करने तथा सामाजिक आर्थिक विषमता को दूर करने में बैंकांे एवं वित्तीय संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।1 वित एवं अर्थव्यवस्था के संदर्भ में वित्तीय संस्थाओं से अभिप्राय उन संस्थाओं से है, जो अपने ग्राहकों एवं सदस्यों को वित्तीय सेवाएं जैसे-ग्राहकों का धन जमा रखना, ग्राहकों को ऋण देना, बैंक ड्राफ्ट देना, निधि अन्तरण  आदि प्रदान करते हैं। किसी भी देश की प्रगति में वित्तीय संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वित्तीय संस्थानों का मुख्य कार्य देश में मुद्रा के प्रवाह को नियन्त्रित करना होता है, साथ ही साथ लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के ऋण प्रदान करते हैं।2 पूर्वी उत्तर प्रदेश में वित्तीय संस्थाओं के अन्तर्गत बैंकों तथा साधन सहकारी समितियों को सम्मिलित किया गया है।

Published
2021-12-06